भारतीय अर्थशास्त्र (Bhartiya Arthashastra)

 

अर्थशास्त्र शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है —

  • "अर्थ" का मतलब है धन, संपत्ति, या आजीविका,

  • और "शास्त्र" का अर्थ है ज्ञान, विज्ञान या शिक्षा देने वाला ग्रंथ

अर्थशास्त्र का सामान्य अर्थ:

अर्थशास्त्र का अर्थ है धन, उत्पादन, वितरण, उपभोग, और संसाधनों के प्रबंधन का विज्ञान
यह एक सामाजिक विज्ञान है जो यह समझने का प्रयास करता है कि लोग, समाज और सरकारें सीमित संसाधनों का उपयोग कैसे करती हैं


दो प्रमुख अर्थ:

  1. प्राचीन संदर्भ में:
    अर्थशास्त्र का मतलब था राज्य संचालन, कर व्यवस्था, युद्धनीति, और समाज की आर्थिक व्यवस्था का ज्ञान।

    • सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है चाणक्य (कौटिल्य) का "अर्थशास्त्र", जो मौर्य काल में लिखा गया था।

  2. आधुनिक संदर्भ में:
    यह एक अकादमिक विषय है जिसे स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया जाता है। इसमें विषय होते हैं:

    • माँग और आपूर्ति

    • राष्ट्रीय आय (GDP)

    • मुद्रा और बैंकिंग

    • कर नीति, बजट

    • वैश्विक व्यापार आदि


अर्थशास्त्र का इतिहास बहुत ही प्राचीन और समृद्ध है। इसका विकास प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था तक हुआ है। नीचे इसका कालक्रमानुसार संक्षिप्त इतिहास दिया गया है:


🔹 1. प्राचीन भारत में अर्थशास्त्र (600 ईसा पूर्व – 300 ईस्वी)

  • इस युग में अर्थशास्त्र राज्य संचालन, कर वसूली, कृषि, व्यापार, और युद्धनीति से जुड़ा हुआ था।

  • महत्वपूर्ण ग्रंथ:

    • कौटिल्य (चाणक्य) का "अर्थशास्त्र" – लगभग 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व
      यह मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री चाणक्य द्वारा लिखा गया था।
      इसमें शासन, कर व्यवस्था, जासूसी तंत्र, वाणिज्य, श्रम, और समाजशास्त्र की जानकारी दी गई है।

  • मनुस्मृति और धर्मशास्त्रों में भी आर्थिक नियमों का उल्लेख मिलता है।


🔹 2. मध्यकालीन भारत (1200–1700 ई.)

  • इस दौर में अर्थशास्त्र धर्म, जाति, और सामंती व्यवस्था से जुड़ा रहा।

  • कृषि प्रधान समाज था, और व्यापार मुख्यतः हाट-बाजार, कस्तूरी, मसाले, रेशम, आदि वस्तुओं का था।

  • मुगल काल में अकबर के समय "अइन-ए-अकबरी" (अबुल फजल द्वारा लिखित) में राजस्व और अर्थव्यवस्था का विस्तृत वर्णन है।


🔹 3. औपनिवेशिक भारत में अर्थशास्त्र (1757–1947)

  • जब अंग्रेजों का शासन शुरू हुआ, तब भारतीय अर्थव्यवस्था को ब्रिटेन के हित में ढाल दिया गया।

  • भारत से कच्चा माल इंग्लैंड भेजा जाता और वहां से महँगा सामान वापस आता।

  • भारत की परंपरागत कुटीर और हस्तशिल्प उद्योग नष्ट हो गए।

  • Dadabhai Naoroji ने "Drain of Wealth" का सिद्धांत दिया और बताया कि अंग्रेज भारत की संपत्ति लूट रहे हैं।


🔹 4. स्वतंत्र भारत में अर्थशास्त्र (1947 से वर्तमान तक)

  • आज़ादी के बाद भारत ने योजना आयोग बनाया और पंचवर्षीय योजनाएँ शुरू कीं।

  • 1950–1990: मिश्रित अर्थव्यवस्था (सरकारी + निजी क्षेत्र)।

  • 1991: भारत में आर्थिक उदारीकरण (Liberalization) हुआ — विदेशी निवेश, निजीकरण, और वैश्वीकरण की शुरुआत।

  • आज भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहाँ डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप्स, और Make in India जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं।


🔹 सारांश:

कालविशेषता
प्राचीन भारतचाणक्य का अर्थशास्त्र, राज्यशक्ति केंद्र
मध्यकालीन भारतकृषि प्रधान, मुगल राजस्व व्यवस्था
औपनिवेशिक काललूट और शोषण, Drain of Wealth
आधुनिक भारतयोजनाबद्ध विकास, वैश्विक भागीदारी

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